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पूछताछ के दौरान यह पता चला था कि इसी स्कूल में टीईटी का पेपर आउट कराने की योजना बनी थी। तय हुआ था कि स्कूल में प्रश्न-पत्र पहुंचने पर प्रबंधक और उसका साथी अश्वनी स्ट्रांग रूम में जाकर पेपर की फोटो खींचेगे। इसके बाद मुख्य आरोपित संजय उर्फ गुरू को भेजकर हल करवाया जाएगा। वहीं, शिक्षक भर्ती फर्जीवाड़ा करने वाले गिरोह के सरगना डॉक्टर केएल पटेल और उसके साथी ललित त्रिपाठी ने भी अपने बयान में चंद्रमा के संपर्क होने की बात स्वीकार की थी। यह भी कहा था ललित एक पेपर के लिए छह लाख रुपये लेता था, जिसमें से वह चार लाख चंद्रमा को देता था और बाकी दो लाख रुपये खुद रख लेता था। इसमें भदोही का मायापति दुबे भी मदद करता था। इस आधार पर एसटीएफ अब यह पता लगाने में जुट गई है कि पंचमलाल आश्रम उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में कितनी प्रतियोगी परीक्षाएं आयोजित हुई थीं। स्कूल में बाउंड्री वाल समेत कई ऐसी खामियां हैं, जिसके चलते उस स्कूल को परीक्षा केंद्र नहीं बनाया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा हुआ। इन सबके पीछे किस-किस की और कैसी भूमिका थी। इस बारे में जानकारी खंगाली जा रही है। पूरा ब्योरा मिलने के बाद आगे की कार्रवाई होगी। फर्जीवाड़ा में चंद्रमा यादव के अलावा मायापति दुबे, दुर्गेश पटेल व संदीप पटेल अभी फरार हैं।