ऐसा भी नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट ने एसएलपी की सुनवाई करते हुए पहली बार टिप्पणी की, इसके पहले भी कई बार शीर्ष कोर्ट ने ऐसा ही रुख अख्तियार किया है। एक परीक्षा के अभ्यíथयों ने ओएमआर शीट पर ग़लत अनुक्रमांक व रजिस्ट्रेशन नंबर में सुधार के लिए अपील की थी, तब कोर्ट ने उसे यह कहकर खारिज कर दिया था कि जो अभ्यर्थी अपना अनुक्रमांक व पंजीकरण नंबर नहीं भर सकता उसे शिक्षक बनने का अधिकार नहीं है।
इसी तरह से शीर्ष कोर्ट ने शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन रद किया, अलग-अलग कई याचिकाएं हुईं लेकिन कोर्ट ने बड़ी राहत नहीं दी। याचिका करने वाले अभ्यíथयों ने शायद इस पर गौर ही नहीं किया कि दो जजों की पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का ही अनुपालन किया है।
सरकार व परीक्षा संस्था को बड़ी राहत
69000 शिक्षक भर्ती में शीर्ष कोर्ट ने प्रदेश सरकार को बड़ी राहत दी है। सरकार ने हाईकोर्ट की एकल पीठ के आदेश को दो जजों की पीठ में चुनौती दी थी। उसमें एकल पीठ का फैसला पलट गया था, सरकार ने परीक्षा संस्था पर जो भरोसा करके कदम बढ़ाया वह सही साबित हुआ। शीर्ष कोर्ट ने एक बार फिर सरकार व परीक्षा संस्था के निर्णय पर फिर मुहर लगा दिया है।