• Breaking News

    नई शिक्षा नीति में स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक में किये गए महत्वपूर्ण परिवर्तन

    आखिरकार 35 साल के इंतजार के बाद देश की शिक्षा व्यवस्था में बदलाव की नई नीति आ गई है। शिक्षा व्यवस्था को नए सिरे से 21वीं सदी की जरूरत के लिहाज से गढ़ा गया है। इसके तहत स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलावों को मंजूरी दी गई है। वहीं रटने-रटाने के दौर से निकलकर ज्ञान, विज्ञान और बुद्धि-कौशल पर फोकस किया गया है। केंद्र सरकार इसी साल से नीति पर अमल की तैयारी में है। मानव संसाधन विकास मंत्रलय का नाम बदलकर फिर शिक्षा मंत्रलय करने का फैसला हुआ है। 1985 में शिक्षा मंत्रलय का नाम बदला गया था।
    • ज्ञान, शोध और पेशेवर शिक्षा पर जोर, हर किसी की पहुंच में शिक्षा को लाने की कोशिश
    • मानव संसाधन विकास मंत्रालय फिर होगा शिक्षा मंत्रलय, 1985 में शिक्षा मंत्रलय का नाम बदला गया था
    देश की शिक्षा को नई दिशा देने के लिए प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई है। इसके तहत पाठ्यक्रम को मूल मुद्दों तक सीमित रखा जाएगा। साथ ही ज्ञानपरक वस्तुओं और कौशल विकास को जोड़ा जाएगा। इस नीति के बाद स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा में जो बदलाव किए गए हैं, उनमें स्कूली शिक्षा के ढांचे को नया रूप दिया गया हैं। इसमें अब प्री-प्राइमरी को भी जोड़ दिया गया है। इसके पाठयक्रम में भी बड़े बदलाव की बात कही गई है। इसे लेकर एनसीईआरटी काम कर रहा है। इसके साथ ही स्कूलों से बाहर हो चुके करीब दो करोड़ बच्चों को फिर से स्कूलों से जोड़ा जाएगा। इनमें 10वीं और 12वीं में फेल हो चुके बच्चे भी शामिल हैं। 

     नई शिक्षा नीति की मंजूरी का हृदय से स्वागत करता हूं। शिक्षा के क्षेत्र में बहुप्रतीक्षित सुधार है, जिससे लाखों लोगों का जीवन बदल जाएगा। एक भारत, श्रेष्ठ भारत पहल के तहत इसमें संस्कृत समेत भारतीय भाषाओं को बढ़ावा दिया जाएगा।
    नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

    • 12 की जगह 15 साल की होगी स्कूली शिक्षा, 3 साल की नई फाउंडेशन शिक्षा
    • 03 से 6 साल के बच्चों के लिए एक जैसा पाठ्यक्रम
    • 06 से 9 साल के बच्चों के लिए साक्षरता और संख्या ज्ञान
    • 03 फीसद जीडीपी का खर्च किया जाएगा शिक्षा पर
    • 08 प्रमुख भाषाओं में भी उपलब्ध होगा ई-कोर्स
    • 02 करोड़ बच्चों को फिर से स्कूल सिस्टम से जोड़ने का लक्ष्य
    कुछ अन्य अहम बातें

    • कला और विज्ञान संकाय के बीच, शैक्षणिक व गैर-शैक्षणिक गतिविधियों के बीच, वोकेशनल व एकेडमिक स्ट्रीम के बीच कोई सख्त बंटवारा नहीं होगा
    • कक्षा पांच तक अनिवार्य रूप से मातृभाषा और स्थानीय भाषा में पढ़ाई होगी। इसके बाद की कक्षाओं में भी इसे प्राथमिकता में रखा जाएगा
    • स्कूल और उच्च शिक्षा में संस्कृत का विकल्प मिलेगा। सेकेंडरी लेवल पर कोरियाई, स्पेनिश, पुर्तगाली, फ्रेंच, जर्मन, जापानी और रूसी आदि विदेशी भाषाओं में से चुनने का भी मौका होगा
    • सभी राज्यों/जिलों को डे-टाइम बोर्डिग स्कूल के रूप में ‘बाल भवन’ बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसमें कला, करियर और खेल से जुड़ी गतिविधियां होंगी
    • छात्रवृत्ति पाने वाले छात्रों का लेखाजोखा रखने के लिए नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल बनेगा, निजी उच्च शिक्षण संस्थानों को भी मुफ्त शिक्षा एवं छात्रवृत्ति के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा
    • महामारी के कारण उपजी स्थिति को ध्यान में रखते हुए नीति में यह प्रस्ताव भी है कि जहां शिक्षा के पारंपरिक तरीके संभव नहीं हों, वहां वैकल्पिक माध्यमों को बढ़ावा दिया जाए
    Primary ka master | basic shiksha news | updatemart | basic shiksha | up basic news | basic shiksha parishad | basic news | primarykamaster| uptet primary ka master | update mart | Primary ka master com 

    UPTET

    शिक्षक भर्ती

    Study Notes