मामला कोर्ट में है और शिक्षकों का आरोप है कि लचर पैरवी के अभाव में उनके मामला लटक गया है। प्रधानाचार्य के 50 फीसदी पद सीधी भर्ती से और 50 फीसदी प्रोन्नति से भरे जाते हैं। ग्रेड पे को लेकर भी है विसंगतिअशासकीय सहायता प्राप्त स्कूलों के प्रधानाचार्य को 7600 ग्रेड पे दिया जाता है। यही राजकीय इंटर कॉलेजों के प्रधानाचार्य पर भी लागू किया गया लेकिन उन्हें इसका लाभ तो कभी मिला नहीं। लोक सेवा आयोग ने 2018 में प्रधानाचार्य के 195 पदों पर भर्ती की लेकिन 5600 ग्रेड पे पर ही की। वित्त विभाग ने यह कह कर एसीपी देने से मना कर दिया गया कि उन्हें 7600 ग्रेड पे दिया जा रहा है जबकि हकीकत में राजकीय इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य अब भी 5600 ग्रेड पे पर काम कर रहे हैं। कोटे पर अब भी नहीं हुआ निर्णयसमूह ख में खण्ड शिक्षा अधिकारियों का कोटा 17 से बढ़ाकर 34 फीसदी करने का प्रस्ताव है। वहीं प्रधानाध्यापक व प्रधानाध्यापिकाओं 33-33 फीसदी कोटा किया जाने का प्रस्ताव शासन स्तर पर लम्बित है। राजकीय इंटर कॉलेज के शिक्षक इसका विरोध कर रहे हैं क्योंकि उनका कहना है कि बीईओ का पद बेसिक शिक्षा का है इसलिए समूह ख के राजपत्रित पदों पर इनका कोटा खत्म किया जाना चाहिए।
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