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    हमारी नई शिक्षा नीति जल्द आ रही है बोले- निशंक

    केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने हिन्दुस्तान के प्रधान संपादक शशि शेखर के साथ खास बातचीत में बताया कि हमारी जो नई शिक्षा नीति आ रही है, वह काफी कुछ इन बातों का समाधान करेगी। यह नीति जल्दी आएगी। किसी को यह कहने का मौका नहीं मिले कि उससे भी पूछ लिया जाता तो अच्छा होता। 

    जब केन्द्रीय मंत्री  रमेश पोखरियाल से पूछा गया कि क्या हमारे यहां बीए पास की संख्या तो बहुत हैं पर कुशल रोजगार नहीं हैं। स्किल्ड डेवलपमेंट के लिए कोई योजना है? तो उन्होंने कहा कि रोजगार और छात्र की शिक्षा, दोनों के बीच समन्वय बहुत जरूरी है। हमने आईआईटी से कहा है कि 50 फीसदी छात्र उद्योगों के साथ काम करेगा और पढ़ेगा। इससे उद्योग विकसित होगा और छात्र को भी अनुभव होगा। इसी तरह से हमने एक पोर्टल शुरू किया, जिससे सभी बच्चों के विचार एक प्लेटफॉर्म पर आएंगे। देश के प्रधानमंत्री ने जो आत्मनिर्भर भारत की बात की है, उसकी भी भरपाई होगी। हाईस्कूल-इंटर के बाद छात्रों के हाथ में कैसे कौशल आए, उसपर काम हो रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि नए भारत की जरूरत है।
    केन्द्रीय मंत्री से जब पूछा गया कि बहुत से लोगों के घर में ऑनलाइन शिक्षा के साधन नहीं है। क्या कई लोग पिछड़ तो नहीं जाएंगे? तो उन्होंने कहा कि कोई सोच नहीं सकता था और हमने इस परिस्थिति को पकड़ा और चुनौतियों को अवसरों में तब्दील कर दिया। हां, हमारी भी चिंता है कि जिन बच्चों के पास इंटरनेट नहीं है, वहां तक हमे जाना है। इसी वजह से वन क्लास, वन चैनल का अभियान शुरू किया गया है। इससे हम अंतिम स्टूडेंट तक जाएंगे। बच्चों के लिए टीवी पर पाठ्यक्रम को लेकर आ रहे हैं।

    उन्होंने कहा कि मैंने देश के अभिभावकों, छात्रों, टीचरों से सीधी बात की है। कई बार इंटरनेट या बिजली नहीं आती है तो हम उसे समय दे रहे हैं। हमारे आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद, रात दिन काम कर रहे हैं। वह डिजिटल इंडिया के लिए रात-दिन काम कर रहे हैं।

    जब मंत्री से पूछा गया कि इन संसाधनों के जरिए कितने फीसदी बच्चों तक पहुंच रहे हैं? तो उन्होंने कहा कि मेरी राज्यों से बातचीत होती है। वहां के शिक्षा मंत्रियों से बात होती है। इससे पता चलता है कि राज्यों ने बहुत अच्छे से काम किया है। वार्ता की मानें तो अभी 30-40 फीसदी तक छात्रों तक पहुंच होनी है। इसके लिए हम राज्यों के साथ काम कर रहे हैं। अंतिम छोर वाले बच्चे के लिए काम कर रहे हैं। अभी व्हाट्सऐप, अध्यापक अन्य तरीकों से भी उन बच्चों तक पहुंच के लिए काम कर रहे हैं। 
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