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    शिक्षकों के बाद अब बच्चों का आधार सत्यापन होगा, सरकार को बच्चों की संख्या को लेकर फर्जीवाड़े की आशंका

    यूनिफॉर्म बनती हैं 1.80 करोड़ बच्चों की और मिड डे मील खाते हैं औसतन 1.10 करोड़ बच्चे। परिषदीय व सहायता प्राप्त स्कूलों में बच्चों की ये दो संख्याएं हैं। लिहाजा शिक्षकों के बाद अब बेसिक शिक्षा विभाग बच्चों की संख्या का सत्यापन करवाने जा रहा है। इसका पायलट प्रोजेक्ट लखनऊ मण्डल' में चलाया जाएगा। इसके बाद बच्चों की फर्जी संख्या पर लगाम लगने की उम्मीद है।
    इसमें तीन स्तरों पर काम किया जाएगा। पहला बच्चों की आधार संख्या की फीडिंग हैं तो उसका सत्यापन होगा। यदि नहीं है आधार संख्या की सीडिंग है और यदि बच्चे का आधार कार्ड नहीं है तो उसका कार्ड बनाया जाएगा। बेसिक शिक्षा विभाग यूआईडीएआई ने रजिस्ट्रार नामित किया है। इसके लिए हर खण्ड शिक्षा अधिकारी कार्यालयों में दो आधार किटें खरीदी गई हैं। आधार कार्ड इसी से बनाया जाएगा। इसके लिए सभी खण्ड शिक्षा अधिकारियों को मशीनें सक्रिय करने के निर्देश दिए गए हैं।


    बच्चों की संख्या को लेकर फर्जीवाड़े की आशंका
    बच्चों की इस संख्या को लेकर फर्जीवाड़े की आशंका हमेशा जताई जाती है। कई शहर की सीमाओं से सटे स्कूलों में संख्या बढ़ा कर लिखी जाती है। एक ही बच्चा आसपास के कई स्कूलों में पंजीकृत कर लिया जाता है क्योंकि पहले इसके आधार पर ही शिक्षकों की संख्या तय की जाती थी। वहीं, पंजीकृत संख्या के आधार पर ही यूनिफार्म, स्वेटर, जूते-मोजे, स्कूल बैग, किताबें आदि खरीदी जाती हैं। लेकिन मिड डे मील की मॉनिटरिंग से आईवीआरएस के जरिए की जा रही है। मासिक या सालाना औसत निकाला जाता है तो वह पंजीकृत बच्चों की संख्या से काफी कम रहता है।
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