नई नीति में स्कूली शिक्षा में किए गए बदलावों की जानकारी देते हुए मंत्रालय की स्कूली शिक्षा सचिव अनीता करवल ने बताया कि आने वाले दिनों में स्कूली कोर्स को इसी पैटर्न पर तैयार किया जाएगा। इसका आधार ज्ञान बच्चों को शुरू से ही गणित, कोडिंग जैसी शिक्षा दी जाएगी। बच्चों को कक्षा छह से ही कोडिंग की पढ़ाई कराई जाएगी। नीति में बोर्ड परीक्षाओं को लेकर बड़े बदलाव की बात है। इसमें छात्रों को परीक्षा के लिए साल में दो बार मौका दिए जाने का विचार है। हालांकि इसे राज्यों के साथ अंतिम रूप दिया जाएगा। फिलहाल स्कूली शिक्षा में बदलाव के पीछे पूरी कोशिश है कि बच्चों को रटने-रटाने या किताबों का लिखा ही हूबहू उतारने की जगह उसे ज्ञान आधारित बनाया जाए। परीक्षा भी इसी पैटर्न पर कराने का प्रस्ताव है। करलव ने कह्य, “10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षा तो होगी लेकिन इसमें ऐसा बदलाव लाने की कोशिश हो रही है कि बच्चों को कोचिंग क्लास की जरूरत न रहे।' इसके साथ ही राज्यों में एक स्टैंडर्ड अथॉरिटी भी बनाने की बात कही गई है, जो स्कूलों की गुणवत्ता और उनकी विश्वसनीयता पर नजर रखेगी। गली-मोहल्लों में खुले गैर-गुणवत्ता वाले स्कूलों पर चिंता जताते हुए यह प्रस्ताव दिया गया है।
चार स्तरीय होगा ढांचा
स्कूली शिक्षा का ढांचा चार स्तर का होगा। इनमें पहला फाउंडेशन स्तर होगा, जो पांच साल का होगा। प्रारंभिक स्तर और मिडिल स्तर तीन-तीन साल का और संकँडरी स्तर का चार साल का होगा। इनमें फाउंडेशन स्तर प्री-प्राइमरी से लेकर दूसरी कक्षा तक के लिए होगा। प्रारम्भिक स्तर कक्षा तीन से पांच, मिडिल स्तर कक्षा छह से आठ और सेकेंडरी स्तर कक्षा नौ से 12 तक के लिए होगा।
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