कोर्ट को इस पर फैसला सुनाना है कि भर्ती परीक्षा में कट- ऑफ 60-65 फीसदी रखना सही है या नहीं। इसके अलावा अदालत यह भी तय करेगी कि क्या सहायक शिक्षक के पद के लिए बीएड छात्र पात्रता रखते हैं या नहीं। जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष बीएड उम्मीदवारों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सालवे ने कहा, इस मामले में छात्रों को लेकर कोई बहस नहीं हो रही है। छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, इस पर किसी का ध्यान नहीं है। उनके मौलिक अधिकारों की तो बात ही नहीं हो रही है। शिक्षामित्र सहित अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील रकेश द्विवेदी और राजीव धवन ने कहा, पिछली भर्ती परीक्षा में सामान्य वर्ग के छात्रों का कटऑफ 45 फोसदी और आरक्षित बर्ग के लिए 40 फीसदी था। इस बार इसे बढ़ाकर 65 और 60 फीसदी कर दिया गया। ब्यूरो
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