अतिथि के रूप में कहा कि ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था रखने वाले संस्थान शिक्षण जारी रखें और सक्षम अभिभावकों की सहमति से शुल्क भी लें। जो अभिभावक सक्षम न हों उन पर शुल्क के लिए दबाव भी न बनाएं। परिचर्चा के आयोजक आचार्य पं. पृथ्वीनाथ पांडेय ने कहा, कोरोना की विपदा प्रभाव को देखते हुए, शिक्षण संस्थाओं में बच्चों के प्रति करुणा जाग्रत नहीं हो पा रही है। आज विद्यार्थियों और अभिभावकों के प्रति विशाल हृदय का परिचय देकर शिक्षणतंत्र अपनी महत्ता सिद्ध कर सकते हैं। इस मौके पर दिल्ली से डॉ. अरुण प्रकाश पांडेय, आगरा से राजश्री यादव, हेदराबाद से डॉ. प्रदीप चित्रांशी, प्रो. सुरेश चंद्र द्विवदी, घनश्याम अवस्थी, अशोक कुमार पांडेय, डॉ. सरिता सिंह परिहार आदि ने विचार रखे।
अतिथि के रूप में कहा कि ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था रखने वाले संस्थान शिक्षण जारी रखें और सक्षम अभिभावकों की सहमति से शुल्क भी लें। जो अभिभावक सक्षम न हों उन पर शुल्क के लिए दबाव भी न बनाएं। परिचर्चा के आयोजक आचार्य पं. पृथ्वीनाथ पांडेय ने कहा, कोरोना की विपदा प्रभाव को देखते हुए, शिक्षण संस्थाओं में बच्चों के प्रति करुणा जाग्रत नहीं हो पा रही है। आज विद्यार्थियों और अभिभावकों के प्रति विशाल हृदय का परिचय देकर शिक्षणतंत्र अपनी महत्ता सिद्ध कर सकते हैं। इस मौके पर दिल्ली से डॉ. अरुण प्रकाश पांडेय, आगरा से राजश्री यादव, हेदराबाद से डॉ. प्रदीप चित्रांशी, प्रो. सुरेश चंद्र द्विवदी, घनश्याम अवस्थी, अशोक कुमार पांडेय, डॉ. सरिता सिंह परिहार आदि ने विचार रखे।