Education Department
Home
Education Department
रद्द नहीं की जा सकतीं अंतिम वर्ष की परीक्षाएं : यूजीसी , 30 सितंबर तक परीक्षाएं कराने के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुरक्षित
रद्द नहीं की जा सकतीं अंतिम वर्ष की परीक्षाएं : यूजीसी , 30 सितंबर तक परीक्षाएं कराने के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुरक्षित
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में बताया कि 30 सितंबर तक विश्वविद्यालयों की अंतिम वर्ष की परीक्षाएं कराने के छह जुलाई के उसके निर्देश कोई फरमान नहीं है, लेकिन राज्य बिना परीक्षाएं कराए डिग्री प्रदान करने का फैसला नहीं ले सकते।
यूजीसी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आरएस रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की पीठ को बताया कि आयोग के निर्देश छात्रों के फायदे के लिए हैं क्योंकि विश्वविद्यालयों को परास्नातक पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश शुरू करने हैं और राज्य सरकारें यूजीसी के दिशानिर्देश निष्प्रभावी नहीं कर सकतीं। यूजीसी के छह जुलाई के दिशानिर्देश की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखते हुए पीठ ने कहा, मसला यह है कि अगर राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने फैसला किया है कि हालात परीक्षाएं कराने के अनुकूल नहीं हैं तो क्या वे यूजीसी के निर्देशों को अस्वीकार कर सकते हैं। दूसरा मुद्दा यह है कि क्या यूजीसी राज्य सरकारों को निष्प्रभावी कर सकता है और विश्वविद्यालयों को निर्धारित तिथि पर परीक्षाएं कराने के लिए कह सकता है।
वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई के दौरान मेहता ने पीठ को बताया कि राज्य समयसीमा बढ़ाने की मांग तो कर सकते हैं, लेकिन वे बिना परीक्षाएं कराए डिग्री प्रदान करने का फैसला नहीं ले सकते। उन्होंने दलील दी कि कोविड-19 राष्ट्रीय आपदा है और राज्य सरकारें यूजीसी को निष्प्रभावी नहीं कर सकतीं। पीठ ने कहा, यह ध्यान में रखना होगा कि छात्रों का कल्याण छात्र तय नहीं कर सकते, इस संबंध में फैसला संवैधानिक निकाय को लेना है। पीठ ने कहा, एक अन्य मसला यह है कि क्या आपदा प्रबंधन कानून के तहत राज्य फैसला ले सकते हैं और कह सकते हैं कि वे परीक्षाएं नहीं कराएंगे और छात्रों के पिछले प्रदर्शन के आधार पर परिणाम घोषित करेंगे।