में बदलाव कर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर युवाओं के लिए प्रतिस्पर्धात्मक
वातावरण तैयार करना है। इससे स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में
क्रांतिकारी एवं उद्देशग्रपूर्ण परिवर्तन आएगा। कक्षा एक से लेकर कक्षा पांच
तक अनिवार्य रूप से मातृ भाषा व स्थानीय भाषा में शिक्षा ग्रहण करने से
बच्चों का तेजी से बौद्धिक विकास होगा। नई शिक्षा नीति के तहत अब छात्रों
को पहले से तय विषय चुनने की बाध्यता भी समाप्त कर दी गई है।
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