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    सपा राज में 5 वर्ष में जितनी भर्ती, योगी सरकार के तीन वर्ष में ही उससे ज्यादा: प्रदेश सरकार का दावा

     प्रदेश सरकार का दावा है कि राज्य लोक सेवा आयोग ने पिछली सपा सरकार के पांच वर्ष के शासनकाल में जितनी भर्ती की थी, उससे अधिक भर्ती इसी तीन वर्ष में हो गई हैं। इसके अलावा आयोग की प्रतिष्ठा को बढ़ाने का काम किया गया है।


    राज्य सरकार की ओर से शनिवार को आयोग की भर्तियों को तुलनात्मक लेखाजोखा जारी किया गया। इसके मुताबिक आयोग ने सपा शासनकाल के पांच वर्ष में कुल 26 हजार अभ्यर्थियों का चयन किया था।
    इसके उलट योगी सरकार के तीन वर्ष के कार्यकाल में ही 26103 पदों पर चयन किया जा चुका है। इनमें 141 उपजिलाधिकारी, 184 डिप्टी एसपी, 4108 एलोपैथिक चिकित्साधिकारी, 773 होम्योपैथिक चिकित्साधिकारी, 969 आयुर्वेदिक चिकित्साधिकारी व 535 डेंटल सर्जन शामिल हैं। पीसीएस जे के भी 610 अभ्यर्थी चयनित हुए हैं। इसके अलावा 6566 अधिकारियों को पदोन्नति के जरिए चयनित किया गया। सपा शासनकाल में केवल 1588 अधिकारियों को ही पदोन्नति मिली थी। इसके अलावा इस सरकार ने समयबद्ध विज्ञापन, परीक्षा की स्कीम व परीक्षा परिणाम घोषित करना सुनिश्चित किया।
    इन तीन वर्षों में किसी भी परीक्षा के विरुद्ध न्यायालय से कोई स्थगनादेश नहीं दिया गया है। दूसरी ओर पिछली सरकार में आयोग के अध्यक्ष को हाईकोर्ट ने बर्खास्त किया। सचिव को भी हाईकोर्ट ने हटाया। सपा शासनकाल की नियुक्तियों की सीबीआई जांच कर रही है। आयोग के इतिहास में पहली बार पीसीएस-2015 की प्रारंभिक परीक्षा का प्रश्नपत्र भी सपा शासनकाल में ही लीक हुआ।
    यूपीएसएसएससी: लंबित और नई भर्तियों को तेज करने पर मंथन
    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भर्तियों में तेेजी लाए जाने के निर्देश के बाद अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की सक्रियता बढ़ गई है। आयोग में विभिन्न स्तर पर लंबित 22 भर्ती विज्ञापन को तेजी से आगे बढ़ाने की तैयारी हो रही है। मसलन, यदि परीक्षा हो गई है तो तेजी से रिजल्ट निकाले जाएंगे। यदि रिजल्ट आ गए और अभिलेखों की जांच होनी है, तो वह कार्यवाही तेज की जाएगी। जिनमें परीक्षा होनी है, उसका कार्यक्रम तय करने पर विचार शुरू हो गया है।

    इसी तरह यदि इंटरव्यू होना है, तो उसकी योजना बनाई जा रही है। इसके अलावा जिन विभागों से भर्ती से संबंधित प्रस्ताव आए हैं, उनका परीक्षण शुरू हो गया है। यदि विज्ञापन में किसी तरह की कमी है तो उसे विभागों को वापस भेजकर दुरुस्त कराने का काम शुरू कर दिया गया है। इससे नए विज्ञापन निकाले जा सकेंगे। मुख्यमंत्री की बैठक के बाद आयोग में तेजी नजर आ सकती है।

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    शिक्षक भर्ती

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