दिया है। उन्होंने कहा है कि किसी व्यक्ति, निजी संस्था, एनजीओ या सीएसआर मद के तहत स्मार्ट क्लास चलाई जा सकेगी। इसके लिए स्मार्ट टीवी या प्रोजेक्ट के लिए दो अलग- अलग मानक तय किए गए हैं। इसमें एक विकल्प के रूप में कम्प्यूटर- प्रोजेक्टर यूनिट वस्क्रीन प्रोजेक्टर यूनिट है। दूसरे में स्मार्ट टीवी का विकल्प है। 27 हजार से लेकर 47 हजार रुपये तक का खर्च इस पर आएगा। प्रति स्कूल 200 रुपये इंटरनेट का खर्च दिया जाएगा। वहीं जिस कमरे में इसके संसाधन रखे जाएंगे, उनमें लोहे का दरवाजा लगवाया जाएगा। इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रधान के साथ अन्य गांव वालों की सौंपी जाएगी। चोरी होने की दशा में प्रधानाध्यापक व ग्राम प्रधान संयुक्त रूप से एफआईआर कराएंगे। जहां बिजली नहीं है वहां सोलर पैनल या बेट्री की व्यवस्था की जाएगी। शासनादेश में डिजिटल उपकरणों के टेक्निकल स्पेसीफिकेशन के ब्यौरे जारी किए गए हैं।
दिया है। उन्होंने कहा है कि किसी व्यक्ति, निजी संस्था, एनजीओ या सीएसआर मद के तहत स्मार्ट क्लास चलाई जा सकेगी। इसके लिए स्मार्ट टीवी या प्रोजेक्ट के लिए दो अलग- अलग मानक तय किए गए हैं। इसमें एक विकल्प के रूप में कम्प्यूटर- प्रोजेक्टर यूनिट वस्क्रीन प्रोजेक्टर यूनिट है। दूसरे में स्मार्ट टीवी का विकल्प है। 27 हजार से लेकर 47 हजार रुपये तक का खर्च इस पर आएगा। प्रति स्कूल 200 रुपये इंटरनेट का खर्च दिया जाएगा। वहीं जिस कमरे में इसके संसाधन रखे जाएंगे, उनमें लोहे का दरवाजा लगवाया जाएगा। इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रधान के साथ अन्य गांव वालों की सौंपी जाएगी। चोरी होने की दशा में प्रधानाध्यापक व ग्राम प्रधान संयुक्त रूप से एफआईआर कराएंगे। जहां बिजली नहीं है वहां सोलर पैनल या बेट्री की व्यवस्था की जाएगी। शासनादेश में डिजिटल उपकरणों के टेक्निकल स्पेसीफिकेशन के ब्यौरे जारी किए गए हैं।