याचीगण के अधिवक्ता कमल कुमार केसरवानी का कहना था कि तीनों याचियों के पति बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक के पद थे। सेवाकाल के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। विभाग ने सभी भुगतान कर दिया। लेकिन ग्रेच्युटी का भुगतान यह कहते हुए नहीं किया गया कि रेशमप्यारी के पति ने 60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्ति का विकल्प नहीं भरा था। विकल्प पर कोई तारीख भी अंकित नहीं थी।
इसी प्रकार से सरोज कुमारी और प्रेमवती देवी के पतियों पर भी विकल्प न भरने की बात कहते हुए ग्रेच्युटी का भुगतान रोक दिया गया। अधिवक्ता का कहना था कि तीनों मामले में यह तथ्य है कि याचीगण के पतियों की मृत्यु सेवानिवृत्ति से पूर्व हो गई। इस मामले को हाई कोर्ट ने ऊषारानी केस में पहले ही तय कर दिया है कि सेवाकाल के दौरान मृत्यु होने पर ग्रेच्युटी देय होगी। कोर्ट ने इस दलील को स्वीकार करते हुए याचियों को तीन माह के भीतर ग्रेच्युटी का भुगतान करने का निर्देश दिया है।