बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों की लापरवाही के कारण परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 69000 सहायक अध्यापकों की भर्ती को लेकर अनिश्चतिता बनी हुई है। पहले परीक्षा के एक दिन बाद कटऑफ लागू करने के कारण विवाद पैदा हुआ जिस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने के बाद आदेश आना बाकी है।
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69000 शिक्षक भर्ती में पहले कटऑफ विवाद और अब मेरिट को लेकर संदेह
69000 शिक्षक भर्ती में पहले कटऑफ विवाद और अब मेरिट को लेकर संदेह
अब 31277 की लिस्ट में मेरिट को लेकर संदेह पैदा हो गया है। 69000 भर्ती के लिए लिखित परीक्षा 6 जनवरी 2019 को हुई थी। परीक्षा होने के एक दिन बाद 7 जनवरी को तत्कालीन विशेष सचिव शासन चन्द्रशेखर की ओर से जारी आदेश में पास प्रतिशत 60/65 प्रतिशत (150 अंकों की परीक्षा में सामान्य वर्ग के लिए 97 और आरक्षित वर्ग के लिए 90 अंकों पर पास ) कर दिया गया। जबकि शासनादेश में कटऑफ अंकों का उल्लेख नहीं था। इसके खिलाफ अभ्यर्थियों ने 11 जनवरी 2019 को हाईकोर्ट में याचिका की जिसको लेकर अब तक विवाद बना हुआ है। इसी प्रकार अफसरों की चूक के कारण 31277 अभ्यर्थियों की सूची में कम मेरिट वाले अभ्यर्थियों का नाम शामिल हो गया और अधिक मेरिट वाले बाहर हो गए। भले ही सरकार यह कह रही हो कि 31277 की लिस्ट अंतिम नहीं है और उसमें संशोधन हो सकता है। लेकिन यह भी हकीकत है कि नई सूची में हाई मैरिट वाले जो अभ्वर्थ बाहर हुए हैं जे हाथ पर हाथ रखकर बैठने वाले नहीं है। यही नहीं 31277 में संशोधन के के बाद कम मेरिट वाले जिन अभ्यर्थियों का चयन निरस्त होगा वे इतनी आसानी से घर पर बैठेंगे, ऐसा भी संभव नहीं। किस बात की थी हड़गड़ी ? नियुक्ति पत्र वितरण में हड़बड़ी को लेकर सवाल उठ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कटऑफ मामले में सुनवाई के बाद तकरीबन तीन महीना पहले अपना फैसला रिजर्व कर लिया था। ऐसे में यदि अधिकारी नई सूची जारी करने की बजाय सुप्रीम कोर्ट में एक एप्लीकेशन लगाकर फैसला सुनाने का अनुरोध करते तो शायद विवाद पैदा ही न होता।
संशोधन किए बगैर जारी कर दी सूची
अधिकारियों ने एक के बाद एक कई गलतियां की है। सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक ने शिक्षक भर्ती के आवेदन पत्र में त्रुटि संशोधन के कई आदेश दिए हैं। लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों ने संशोधन करने की बजाय मनमाने तरीके से 12 अक्तूबर को विवादित सूची जारी कर दी। इसे लेकर भी प्रभावित अभ्यर्थी आंदोलित हैं।
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