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    पंचायत चुनाव में ड्यूटी को चुनाव आयोग ने तैयार किया 12 लाख कर्मचारियों का डाटा बेस, जानिए बूथ पर कितने अफसर होंगे तैनात

     उत्तर प्रदेश में होने जा रहे त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में जिलों के प्रशासनिक अफसर अपनी मनमर्जी से इलेक्शन ड्यूटी नहीं काट पाएंगे। पंचायत चुनाव में ड्यूटी आमतौर पर जिलों के एडीएम प्रशासन या सीडीओ लगाते हैं और उप जिला निर्वाचन अधिकारी की जिम्मेदारी सम्भालने वाले यही अफसर चुनाव ड्यूटी से मुक्त करने के लिए भी अधिकृत होते हैं। अगर इन अफसरों ने अपनी मनमानी से बगैर किसी ठोस कारण बड़ी तादाद में इलेक्शन ड्यूटी काटी तो राज्य निर्वाचन आयोग इस बारे में उनसे जवाब तलब कर सकता है। आयोग अपने पोर्टल के जरिये सभी जिलों के इन अफसरों के कामकाज पर आनलाइन नजर रखेगा और वक्त जरूरत उनसे पूछताछ भी करेगा। 


    राज्य निर्वाचन आयोग के अपर निर्वाचन आयुक्त वेद प्रकाश वर्मा ने बताया कि प्रदेश सरकार के मानव सम्पदा पोर्टल पर कुल 13 लाख 25 हजार कार्मिका डेटा दर्ज है, इसमें सचिवालय और निदेशालयों के भी कार्मिक शामिल हैं। आमतौर पर सचिवालय और निदेशालयों के कार्मिकों को इलेक्शन ड्यूटी में नहीं लगाया जाता है। 
    शिक्षक, संविदा, पीएसयू, सहकारी बैंक आदि मिलाकर कुल 12.5 लाख कार्मिकों का डेटा बेस राज्य निर्वाचन आयोग ने तैयार कर लिया है। इनमें करीब साढ़े तीन लाख शिक्षक हैं। उन्होंने बताया कि राज्य निर्वाचन आयोग का अपना साफ्टवेयर है। उन्होंने बताया कि  इलेक्शन ड्यूटी से मुक्त करने के लिए जितने भी आवेदन आएंगे उनका ब्यौरा पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर एक तय सीमा से ज्यादा इलेक्शन ड्यूटी काटी गयी तो फिर आयोग इस बारे में सम्बंधित जिलों के इन अफसरों से पूछताछ करेगा।

    प्रत्येक पोलिंग बूथ पर एक पोलिंग अफसर, दो सहायक और दो चपरासी लगते हैं। उदाहरण के लिए अगर 100 पोलिंग बूथ हैं तो 130 पोलिंग अफसर, 260 सहायक और 260 चपरासी इलेक्शन ड्यूटी के लिए चुने जाएंगे। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद द्वितीय रेण्डीमाइजेशन में से 100 पोलिंग बूथों के लिए 100 पोलिंग अफसर, 200 सहायक और 200 चपरासी इलेक्शन ड्यूटी में तैनात किये जाएंगे। इनमें से 10 प्रतिशत कार्मिक रिजर्व रखे जाते हैं बाकी को पोलिंग पार्टी में शामिल करके रवाना कर दिया जाता है। अगर कहीं कोई दिक्कत आती है तो फिर रिजर्व स्टाफ से कार्मिक भेजे जाते हैं। जहां तक सुरक्षा बलों का सवाल है तो पिछले 2015 के पंचायत चुनाव में और 2017 के नगरीय निकाय चुनाव में 40-40 कम्पनी केन्द्रीय सुरक्षा बल मिला था मगर इस बार के पंचायत चुनाव के लिए केन्द्रीय सुरक्षा बल के बारे में अभी कोई विचार विमर्श नहीं हुआ है।

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