प्रयागराज : प्रतियोगी परीक्षाओं में आरक्षण मिले, लेकिन बार-बार नहीं बल्कि एक बार। हर भर्ती संस्थान में एक परीक्षा में अभ्यर्थियों को एक बार ही आरक्षण देने का नियम लागू कराने की मुहिम चलाई जा रही है। इस मुद्दे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका लंबित है। वहीं, शासन ने 12 दिसंबर 2019 के बाद उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग की सारी सभी परीक्षाओं में एक बार ही आरक्षण देने की बात कही है। प्रतियोगी शासन की बात को आधार बनाकर उसके अनुरूप नियम हर भर्ती संस्थान में लागू कराने की मांग कर रहे हैं।
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शुरू हुई प्रतियोगियों की ‘एक आरक्षण’ की मुहिम
प्रतियोगियों का कहना है कि एक भर्ती परीक्षा में कई बार आरक्षण मिलने से योग्य अभ्यर्थी चयन से वंचित रह जाते हैं। इससे उनके अंदर कुंठा व्याप्त हो रही है। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय ने एक परीक्षा-एक आरक्षण को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। इसमें तर्क दिया गया कि पीसीएस 2015 से 2018 तक की परीक्षाओं में सामान्य व ओबीसी वर्ग की मेरिट लगभग बराबर रही है। इसके पीछे शुरुआत से आरक्षण लागू होना है। आरक्षण के चलते सामान्य वर्ग के योग्य अभ्यर्थी पहले ही बाहर कर दिए गए हैं।
समिति का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद-16 (4) (ख) के साथ उत्तर प्रदेश आरक्षण नियमावली-1994 के खंड-3 (2) में आरक्षण दिया जाय, लेकिन एक चरण में ही लाभ दिया जाय। यह व्यवस्था उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग व चयन बोर्ड सहित हर भर्ती संस्थान में लागू कराने के लिए इंटरनेट मीडिया में मुहिम चल रही है।
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