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    वचरुअल कक्षाएं, घर बैठकर की पढ़ाई: जबकि परिषदीय बच्चों के पास सुविधाओं का अभाव

     लखनऊ : कोरोना ने पढ़ने-पढ़ाने का तरीका बदल दिया। प्राइमरी से उच्च शिक्षा तक में आनलाइन पढ़ाई का कान्सेप्ट आ गया। लाकडाउन होने से बच्चों की पढ़ाई न प्रभावित हो, इसके लिए चाक और डस्टर के साथ पढ़ाने वाले गुरुजी बन टेक्नोलाजी का इस्तेमाल करने लगे। टैबलेट, दीक्षा एप, मोबाइल से लेकर इंटरनेट मीडिया के सभी प्लेटफार्म से पढ़ाने के तरीके अपनाए। हालांकि राजधानी में परिषदीय स्कूलों के करीब 75 हजार बच्चे ऐसे भी रहे, जिनके अभिभावकों के पास मोबाइल नहीं था, ऐसे में उनकी पढ़ाई भी रेडियो और टीवी के जरिए हुई। 



    राजधानी के 1,625 प्राइमरी व जूनियर विद्यालयों में 2,02,421 बच्चे पंजीकृत हैं। इनमें करीब 5,500 शिक्षक कार्यरत हैं। कोविड काल के दौरान ज्यादातर शिक्षक पढ़ाने की नई तकनीक सीख गए। बच्चों की आनलाइन पढ़ाई के लिए नए-नए तरीके निकाले। रोचक ढंग से सभी विषयों के वीडियो लेक्चर बनाकर यू-ट्यूब और मोबाइल पर उपलब्ध कराए गए। बेसिक शिक्षा अधिकारी दिनेश कुमार ने बताया कि आनलाइन पढ़ाई काफी हद तक सफल रही। दो लाख बच्चों में से करीब सवा लाख के पास मोबाइल की सुविधा थी। बाकी बच्चों ने रेडियो और टेलीविजन से पढ़ाई की।

    स्कूलों ने बनाए एप, आसान रही पढ़ाई: राजधानी में माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधीन यूपी बोर्ड, सीबीएसई और आइसीएसइ के करीब एक हजार विद्यालय हैं। इनमें करीब ढाई लाख बच्चे पढ़ते हैं। लाकडाउन के दौरान इन स्कूलों के आनलाइन पढ़ाई का पैटर्न बेहतर रहा।
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