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    आगरा विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड से 3635 रोल नंबर हटाए जाएंगे, एसआईटी की जांच के बाद बीएड 2005 में 3637 रोल नंबर फर्जी पाए गए थे

    आगरा विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड से 3635 रोल नंबर हटाए जाएंगे, एसआईटी की जांच के बाद बीएड 2005 में 3637 रोल नंबर फर्जी पाए गए थे।
    डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड से 3635 रोल नंबर हटाए जाएंगे। बीएड 2005 के रिकॉर्ड से विवि 3635 रोल नंबर का परिणाम निरस्त करेगा। विश्वविद्यालय यह कदम एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर इन अभ्यर्थियों के रिकॉर्ड को फेक घोषित करने के बाद उठाएगा।
    विवि के बीएड सत्र 2005 में बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा हुआ था। स्थिति यह थी कि बिना परीक्षा दिए यह कि बिना दिए सैकड़ों ने पहले बीएड की डिग्री ली और फिर उसी डिग्री के सहारे सरकारी नौकरी भी पा ली। फर्जीवाड़े की एसआईटी जांच के बाद बीएड 2005 में 3637 रोल नंबर फर्जी पाए गए थे। इस सूची पर कोर्ट के आदेश के बाद विवि ने कार्रवाई शुरू की। सूची पर विवि ने आपत्ति मांगी। आपत्ति ना देने वाले 2823 कैंडिडेट की माक्क्सशीट को फर्जी मान लिया की मार्क्सशीट को फर्जी मान लिया था।


     इसके बाद बुधवार को कार्य परिषद ने आपत्ति देने वाले 814 में से 812 को भी फर्जी घोषित कर दिया। विवि द्वारा इन रोल नंबर पर जारी अंक तालिकाओं को फर्जी करार देने के बाद अब आगे की प्रक्रिया शुरू होगी विवि अब इन रोल नंबर पर जारी हुए सभी प्रमाण पत्रों को निरस्त करने की प्रक्रिया  साथ ही विवि अने हुप्लाकट से बढ़ेगी मुश्किल विश्वविद्यालय की सबसे अधिक
    मुश्किल 45 रोल नंबर बढ़ाएंगे। यह रोल नंबर डुप्लीकेट की श्रेणी में हैं। यानि कि इन रोल नंबर पर एक से अधिक मार्क्सशीट जारी हुई। अब विवि को इस मामले में यह तय करना है कि इनमें से कौन की मार्क्सशीट सही है और कौन सी गलता या फिर किसी रोल नंबर पर मौजूद सभी रिकॉर्ड ही फर्जी हैं। शुरू करेगा। साथ ही विवि अपने रिकॉर्ड को भी बदलेगा। 


    हालांकि इस प्रक्रिया में अभी समय लगेगा। क्योंकि मामला अभी कोर्ट में चल रहा है। विवि के जनसंपर्क अधिकारी प्रो. प्रदीप श्रीधर के अनुसार विवि ने इन अभ्यर्थियों के रिकॉर्ड को फर्जी मान लिया है। ऐसे में परिणाम निरस्त करने के साथ-साथ विवि अपने रिकॉर्ड को लेकर अन्य प्रक्रिया करेगा।

    अब टेंपर्ड और डुप्लीकेट में फैसला लेना है

    बीएड 2005 की जांच के बाद एसआईटी की सूची में 4766 रोल नंबर आए। इसमें से 3637 रोल नंबर फेक के दायरे में थे। वहीं 1084 रोल नंबर टैंपई के दायरे में हैं। साथ ही 45 रोल नंबर डुप्लीकेट की स्थिति में हैं। विवि ने फेक में शामिल दो छात्रों को तथ्यों के आधार पर बरी कर दिया। अब विवि कोपर्ड और डुप्लीकेट के मामले में फैसला लेना है।

    परिणाम बदलने की बारी

    डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय ने फेक के मामले में फैसला ले लिया। अब विवि की बड़ी परीक्षा टैंपर्ड मामले में है। क्योंकि यहां पर विवि को बड़ा काम करना होगा। संपत्ति मामले में जांच के लिए विवि ने प्रो. पीके सिंह, प्रो. एचएस सोलंकी, प्रो. मनोज श्रीवास्तव, प्रो. लवकुश मिश्र की कमेटी बनायी थी। इस कमेटी के
    जिम्मे 1084 टेंपर्ड मामले हैं। इनमें नम्बरो का खेल हुआ था। ऐसे में अब परिणाम बदलने की बारी है
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