तथा उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षामित्रों की याचिका का विरेध किया। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों की बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। यह मामला उत्तर प्रदेश में सहायक शिक्षकों के 69,000 पदों पर भर्ती का है। शिक्षामित्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर भर्ती परीक्षा में न्यूनतम योग्यता अंक सामान्य वर्ग के लिए 65 फीसद और आरक्षित वर्ग के लिए 60 फीसद स्खे जाने को चुनौती दी है। उनकी मांग है कि न्यूनतम योग्यता अंक पूर्व भर्ती परीक्षा को तरह 45 और 40 फोसद ही होने चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में शिक्षामित्रों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कह्य कि सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई 2017 को आनंद कुमार यादव के केस में फैसला देते हुए शिक्षामित्र से सह्ययक शिक्षक पद पर नियमित हुए 1,37,500 शिक्षामित्रों का नियमन रद कर दिया था। उस फैसले के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछली बार 68,500 और इस बार 69,000 सह्ययक शिक्षकों की भर्ती निकाली है। दोनों भर्तियों को अगर मिलाया जाए तो कुल वही पद हैं जो शिक्षामित्रों से खाली हुए हैं। धवन ने कहा कि तब शिक्षामित्रों की भर्ती इसलिए रद हुई थी कि वे टीईटी पास नहीं थे, अब एटीआर परीक्षा में बैठे सभी लगभग 45000 शिक्षामित्रों टीईटी पास कर लिया है। ऐसे में उन सभी को सहायक शिक्षक नियुक्त किया जाना चाहिए। शेष सीटों पर अभ्यर्थियों की मेरिट तय होनी चाहिए। लेकिन बीएड अभ्यर्थियों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने इन दलील का विरोध किया।
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