कॉलेज समाजशास्त्र के प्रवक्ता डॉ राजेश कुमार पांडेय के खिलाफ सिविल लाइंस थाने में आईपीसी की धारा 409 और 420 के तहत मुकदमा दर्ज कराया है। आरोप लगाया है कि डॉ राजेश पांडेय ने बैकुंठनाथ राय का फर्जी पद दिखा कर फर्जी तरीके से विनियमितीकरण सरकार एकल संचालन द्वारा लाखों रुपए का भुगतान प्राप्त किया है, जबकि इस संबंध में तत्कालीन प्रबंध समिति के सचिव एवं प्राचार्य ने अपनी असहमति जताते हुए उच्च शिक्षा निदेशालय कार्यालय को सूचित किया था कि बैकुंठनाथ राय नाम के किसी व्यक्ति ने उक्त महाविद्यालय में कभी कार्य नहीं किया है। इसके बावजूद उच्च शिक्षा निदेशालय कार्यालय ने अवैध भुगतान जारी रखा और किसी प्रकार की कोई वैधानिक कार्रवाई नहीं की। आरोप यह भी है कि राजेश पांडेय ने इंटरमीडिएट की 2 डिग्री एक ही सत्र में ली है और अलग-अलग उपयोग भी किया है। इस प्रकरण में 12 फरवरी 2020 को संयुक्त शिक्षा निदेशक उच्च शिक्षा प्रयागराज के सम्मुख उनके कार्यकाल में सुनवाई के दौरान सारे तथ्यों को प्रस्तुत किया गया था। किंतु उस वक्त कोई निर्णय नहीं लिया गया बल्कि प्रकरण उच्च शिक्षा निदेशालय के संज्ञान में होने के बावजूद फर्जी भुगतान अभी तक जारी है। इस प्रकरण में उन्होंने एसपी क्राइम को जांच कर कार्रवाई करने की गुहार लगाई थी। जांच के बाद पुलिस अफसर ने उसी रिपोर्ट के आधार पर सिविल लाइंस थाने में मुकदमा दर्ज कराया है।
कॉलेज समाजशास्त्र के प्रवक्ता डॉ राजेश कुमार पांडेय के खिलाफ सिविल लाइंस थाने में आईपीसी की धारा 409 और 420 के तहत मुकदमा दर्ज कराया है। आरोप लगाया है कि डॉ राजेश पांडेय ने बैकुंठनाथ राय का फर्जी पद दिखा कर फर्जी तरीके से विनियमितीकरण सरकार एकल संचालन द्वारा लाखों रुपए का भुगतान प्राप्त किया है, जबकि इस संबंध में तत्कालीन प्रबंध समिति के सचिव एवं प्राचार्य ने अपनी असहमति जताते हुए उच्च शिक्षा निदेशालय कार्यालय को सूचित किया था कि बैकुंठनाथ राय नाम के किसी व्यक्ति ने उक्त महाविद्यालय में कभी कार्य नहीं किया है। इसके बावजूद उच्च शिक्षा निदेशालय कार्यालय ने अवैध भुगतान जारी रखा और किसी प्रकार की कोई वैधानिक कार्रवाई नहीं की। आरोप यह भी है कि राजेश पांडेय ने इंटरमीडिएट की 2 डिग्री एक ही सत्र में ली है और अलग-अलग उपयोग भी किया है। इस प्रकरण में 12 फरवरी 2020 को संयुक्त शिक्षा निदेशक उच्च शिक्षा प्रयागराज के सम्मुख उनके कार्यकाल में सुनवाई के दौरान सारे तथ्यों को प्रस्तुत किया गया था। किंतु उस वक्त कोई निर्णय नहीं लिया गया बल्कि प्रकरण उच्च शिक्षा निदेशालय के संज्ञान में होने के बावजूद फर्जी भुगतान अभी तक जारी है। इस प्रकरण में उन्होंने एसपी क्राइम को जांच कर कार्रवाई करने की गुहार लगाई थी। जांच के बाद पुलिस अफसर ने उसी रिपोर्ट के आधार पर सिविल लाइंस थाने में मुकदमा दर्ज कराया है।