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    नए भारत में हर बच्चे को हुनरमंद बनाने की मुहिम, पढ़ाई के साथ किसी एक कौशल को सीखना होगा अनिवार्य: शिक्षकों की जिम्मेदारियां भी तय

    नई दिल्ली: भावी पीढ़ी को बेरोजगारी के दंश से बचाने के लिए अब हरेक बच्चे को पढ़ाई के साथ हुनरमंद भी बनाया जाएगा। फिलहाल इसकी शुरुआत स्कूलों से होगी, जो उच्च शिक्षा तक जारी रहेगी। इसके तहत प्रत्येक बच्चे को कम से कम किसी एक व्यवसाय से जुड़े कौशल को सीखना अनिवार्य होगा। रुचि के मुताबिक वह एक से ज्यादा व्यवसायों से जुड़ा प्रशिक्षण भी ले सकता है। नई शिक्षा नीति में 2025 तक स्कूल और उच्च शिक्षा संस्थानों के जरिये 50 फीसद छात्रों को व्यावसायिक शिक्षा से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है।
    नई शिक्षा नीति में व्यावसायिक शिक्षा को मजबूती देने की यह पहल तब की गई है, जब देश में व्यावसायिक शिक्षा हासिल करने वालों का प्रतिशत काफी कम है। एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में वर्ष 2012-17 के बीच 19 से 24 आयु वर्ग के पांच फीसद से भी कम लोगों ने औपचारिक रूप से व्यावसायिक शिक्षा ग्रहण की है। वहीं अमेरिका में 52 फीसद, जर्मनी में 75 फीसद और दक्षिण कोरिया में 96 फीसद लोगों ने व्यावसायिक शिक्षा ली है। यही वजह है नीति में व्यावसायिक शिक्षा के क्षेत्र में पीछे रहने के कारणों को सामने लाने हुए तेजी से इस दिशा में आगे बढ़ने की जरूरत बताई है। फिलहाल इन नीति की जो कोशिश है, उसके तहत नए भारत का हरेक बच्चा हुनरमंद होगा।

    व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने की कोशिशें वैसे तो लंबे समय से चल रही थीं, लेकिन इसके आगे न बढ़ पाने के पीछे जो बड़ा कारण माना गया है, वह मुख्यधारा की शिक्षा के मुकाबले इसके महत्व को कम आंकना है। यही वजह है कि नीति में व्यावसायिक शिक्षा को अब मुख्यधारा की शिक्षा से साथ ही जोड़ने का प्रस्ताव किया गया है। साथ ही कहा गया है कि इसका एक ऐसा फ्रेमवर्क तैयार किया जाए, जिसमें बच्चों को स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक उसे पढ़ाया जा सके। मौजूदा समय में व्यावसायिक शिक्षा का जो ढांचा है, उनमें स्कूल और उच्च शिक्षा के बीच कोई लिंक नहीं है।
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