न्यायमूर्ति यूयू ललित, एमएम शांतनगौदर और विनीत सरन की पीठ ने उप्र प्राथमिक शिक्षामित्र एसो. व अन्य शिक्षामित्रों की ओर से दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई के बाद ये नोटिस जारी किए। एसोसिएशन के वकील गौरव यादव मामले में नोटिस जारी होने को बड़ी सफलता मानते हुए कहते हैं कि कोर्ट को प्रथम दृष्टया दलीलों में दम दिखा है। शिक्षामित्रों की याचिकाओं में विशेष तौर पर भर्ती परीक्षा के बाद योग्यता मानदंड बदलने को चुनौती दी गई है। दलील है कि भर्ती विज्ञापन निकलने और परीक्षा होने तक न्यूनतम योग्यता अंक तय नहीं थे। परीक्षा के दूसरे दिन सरकार ने नियम बदल दिए और परीक्षा के न्यूनतम क्वालीफाई अंक 65 और 60 फीसद कर दिए जो गलत है।
वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी, गोपाल सुब्रमण्यम, राजीव धवन, राकेश द्विवेदी और दुष्यंत दवे ने शिक्षामित्रों की ओर से बहस करते हुए कहा कि भर्ती की पहली परीक्षा में भर्ती का आधार 40 और 45 फीसद अंक था जबकि दूसरी परीक्षा में ये 60 और 65 फीसद कर दिया गया। ये कैसे हो सकता है कि एक भर्ती दूसरे कट आफ पर और दूसरी भर्ती दूसरे कट आफ पर हो। शुरुआत में कोर्ट मामले पर विचार करने को सहमत नहीं था, लेकिन बाद में राजी हो गया और नोटिस जारी किया।
’>>उप्र प्राथमिक शिक्षामित्र एसो. व अन्य की याचिका पर जारी किया नोटिस
’>>प्रदेश सरकार से 6 जुलाई तक जवाब तलब, 14 जुलाई को होगी सुनवाई