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माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) की स्थापना 1921 में हुई और पहली बार परीक्षा 1922 में कराई गई। इस हिसाब से अगला वर्ष यूपी बोर्ड का शताब्दी वर्ष होगा। इस दौरान बोर्ड ने तमाम उतार चढ़ाव देखे हैं और निरंतर छात्र-छात्रओं की संख्या की बढ़ती गई। पहले हाईस्कूल व इंटर का रिजल्ट अलग-अलग तारीखों में जारी होता रहा है। सूत्रों का कहना है कि वर्ष 2007 में हाईस्कूल का परिणाम लखनऊ में तत्कालीन शिक्षा निदेशक ने जारी किया था। उस समय रिजल्ट घोषित होने से पहले ही उत्तीर्ण प्रतिशत लीक हो गया था, जिससे काफी हंगामा मचा था। जबकि इंटर का रिजल्ट इलाहाबाद से ही जारी हुआ। इसके पहले भी गिने-चुने अवसर पर ही लखनऊ से रिजल्ट जारी हुआ था।
बोर्ड प्रशासन ने वर्ष 2015 से हाईस्कूल व इंटर का रिजल्ट एक साथ घोषित करना शुरू किया। पहले परिणाम जून माह में ही आते रहे हैं, क्योंकि पहले शैक्षिक सत्र जुलाई से शुरू होता था। शीर्ष कोर्ट के एक आदेश के बाद रिजल्ट देने की तारीखें घटती रहीं। कोर्ट ने कहा था कि परिणाम दस जून तक हर हाल में जारी हो जाएं। पहले मई और फिर अप्रैल माह तक में रिजल्ट घोषित हो चुका है। ज्ञात हो कि 2019 का रिजल्ट बोर्ड ने 27 अप्रैल को जारी किया था। इसकी वजह यह है कि शैक्षिक सत्र अब अप्रैल माह से शुरू होता है, उसमें छात्र-छात्रओं को परेशानी न हो। इस बार भी परीक्षाएं समय पर हुईं लेकिन, कोरोना संकट की वजह से मूल्यांकन में विलंब होने से परिणाम जून में खिसक गया।
मत्था टेका, मन्नतें मानीं आज मिलेगा ‘फल’
जागरण संवाददाता, प्रयागराज: हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा देकर तीन महीने से ज्यादा समय से घर बैठे छात्र-छात्रओं के इंतजार की घड़ियां अब खत्म हुईं। शनिवार को बोर्ड परीक्षा के नतीजे (रिजल्ट) आने पर विद्याíथयों को उनकी सालभर की पढ़ाई का पुरस्कार मिलेगा। हालांकि, परिणाम को लेकर छात्र-छात्रओं की धड़कनें तेज हो गई हैं। बहुत से छात्र-छात्रएं नर्वस भी हैं, जिससे उनके माता-पिता और घर के लोग उन्हें समझाते एवं ढांढस भी बंधाते रहे। वहीं, नतीजे आने के एक दिन पहले शुक्रवार को बहुत से छात्र-छात्रओं ने मंदिरों में जाकर मत्था भी टेका और मन्नतें भी मानीं।