लेकिन, लक्ष्य था पीसीएस ऑफिसर बनना। इसलिए पढ़ाई जारी रही। जॉब करते, साथ ही अध्ययन भी। पढ़ाई का शौक ऐसा कि कई डिग्रियां ले डालीं। बताते हैं कि 2013, 14 और 16 में पीसीएस का एग्जाम दिए लेकिन, तीनों बार साक्षात्कार में कहानी लटक गई। 2018 में पुनः प्रयास किया। इस बार सफलता मिली। इसमें उन्हें 87वीं रैंक मिली थी। कहते हैं कि यदि कोई लक्ष्य आपने बनाया है सफलता मिलने तक हार नहीं माननी चाहिए। हमने भी ऐसा ही किया और लगातार प्रयास करते रहे। आखिरकार कामयाबी मिल ही गई।
लेकिन, लक्ष्य था पीसीएस ऑफिसर बनना। इसलिए पढ़ाई जारी रही। जॉब करते, साथ ही अध्ययन भी। पढ़ाई का शौक ऐसा कि कई डिग्रियां ले डालीं। बताते हैं कि 2013, 14 और 16 में पीसीएस का एग्जाम दिए लेकिन, तीनों बार साक्षात्कार में कहानी लटक गई। 2018 में पुनः प्रयास किया। इस बार सफलता मिली। इसमें उन्हें 87वीं रैंक मिली थी। कहते हैं कि यदि कोई लक्ष्य आपने बनाया है सफलता मिलने तक हार नहीं माननी चाहिए। हमने भी ऐसा ही किया और लगातार प्रयास करते रहे। आखिरकार कामयाबी मिल ही गई।