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    अंतरराष्ट्रीय सेमिनार: नई शिक्षा नीति (NEP) की सफलता में शिक्षक अहम

    प्रयागराज : इलाहबाद विश्वविद्यालय महाविद्यालय शिक्षक संघ (आक्टा) और संज्ञार्थम शोध संस्थान की ओर से राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर दो दिनी अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का रविवार को समापन हुआ। समापन सत्र में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर दिनेश सिंह ने कहा कि नई शिक्षा नीति में बहुत सारे ऐसे प्रावधान हैं जो काफी प्रोग्रेसिव हैं। इस नीति को सफल करने में सबसे बड़ी जिम्मेदारी शिक्षकों की है।
    महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय (वर्धा) के पूर्व कुलपति प्रोफेसर गिरीश्वर मिश्र ने कहाकि नई शिक्षा नीति में प्रतिभा और शैक्षिक का ध्यान रखा है। अलग अलग क्षेत्रों में प्रतिभा के प्रस्फुटन की संभावनाएं बढ़ी हैं। गुवाहाटी विश्वविद्यालय की प्रो. नीलिमा भागवती ने कहा प्रत्येक छात्र की क्षमता के अनुसार नई नीति में शिक्षा देने का प्रयास किया है। गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राम शंकर दुबे ने कहा कि नई शिक्षा नीति भारत की आत्मा को प्रदर्शित करती हैं। 136 वर्षो बाद कोई एक ऐसा डॉक्यूमेंट आया जो भारत को गौरवशाली अतीत की ओर ले जा सकता है। सऊदी अरब से प्रोफेसर समी खान ने कहा कि 2030 तक भारत की तस्वीर बदल सकते हैं, लेकिन फिर भी शिक्षा का निजीकरण भारत जैसे देश के लिए एक गलत कदम होगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सदस्य डॉ किरण हजारिका ने उच्च शिक्षा के नियामक तंत्र में रूपांतरण और शिक्षा में गुणवत्तापूर्ण रिसर्च के प्रावधानों पर विस्तार से प्रकाश डाला।

    शिक्षा मंत्रलय में पूर्व सचिव डॉ. अरुण कुमार रथ, अमेरिका से प्रोफेसर अतुल राय, उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा के निदेशक डॉ. सर्वेंद्र विक्रम सिंह आदि ने भी विचार रखे।

    संचालन वेबीनार आक्टा महासचिव डॉ. उमेश प्रताप सिंह तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. मंजरी शुक्ला और ऑक्टा के अध्यक्ष डॉ. एसपी सिंह ने किया।

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